Wednesday, July 27, 2022

स्कूल चले हम

स्कूल चले हम
हम लगभग 37 सालों बाद दिन रविवार 24 जुलाई को एकबार फिर बचपन में लौटने का मौका मिला। एक बहुत विशाल नया परिवार मिला। मन गदगद था, खुशियां समेटे नहीं सिमट रही थी। अवसर था 1984-85 के स्कूल सखाओं का “यादें”कार्यक्रम के तहत प्रो॰ जे एन पांडे गवर्नमेंट हाई स्कूल आगमन का और दिन भरउन्हीं दिनों सा स्कूली जीवन जीने का।   "यादें" कार्यक्रम का आयोजन आसान नहीं था, यह सब संभव हो सका मीनू भल्ला, मोहन सिंह छाबड़ा,जिग्नेश पारख, एड. बृजेश पांडे, राजेश मिश्रा सहित कुछ अन्य साथियों के बरसों के चिंतन और साढ़े 3 साल की मेहनत से। वे इसके लिए धन्यवाद और बधाई के पात्र हैं। स्कूल के वर्तमान प्राचार्य मोहनराव सावंत जी ने भीकार्यक्रम की सफलता के लिए बहुत उत्साह प्रदर्शित किया, हर संभव मदद की। वे इसीस्कूल के छात्र भी रहे हैं एवं एक दो वर्ष सीनियर उमाशंकर व्यास जी की उपस्थितिएवं उनके द्वारा प्रदर्शित अपनत्व की जितनी तारीफ की जाए कम है।  इस कार्यक्रम के दौरान एक बहुत ही महत्वपूर्ण वअद्भुत पहलू सामने आया वह था अपनी जवाबदारीयों को समझना औरआगे बढ़कर पहल करना। इसके लिए सभी साथियों ने संकल्प लिया कि अपने स्कूल की यथासंभव मदद करेंगे तथा जितने भी स्कूल के सखा व गुरुजन हैंउन्हें अपने ही परिवार का अंग मानते हुए हर एक के सुख और दुख में साथ खड़े रहेंगे।  कार्यक्रम के पहले चरण में प्रातः 09:30 बजे 100 से अधिक तत्कालीन विद्यार्थीसाथियों ने अपने पुराने गवर्नमेंट स्कूल में शिरकत की। सभी साथी स्कूल ड्रेस में ही उपस्थित हुए। स्कूल में रोज गाई जाने वाली प्रार्थना व राष्ट्रगान किया। स्कूल के प्रांगण में धमा-चौकड़ी मचाई स्कूल के कमरों में बैठकर पुरानी यादें ताजा की, स्कूल के हाल में बैठकर स्कूल के बारे में जाना समझा व यादगारके रुप में वृक्षारोपण किया।   “यादें” कार्यक्रम का दूसरा चरण होटल अरेना केकांफ्रेस हाल में संपन्न हुआ। कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया हम सब को पढ़ाचुके 18 शिक्षकों की उपस्थिति ने। आदरणीय बी पी अग्रवाल जी (तत्कालीन प्राचार्य), बी बी शुक्ला जी,के सी माहेश्वरी जी, ए के गांधी जी, एन के रिछरिया जी, एल डी दुबे जी, ब्रिजकिशोर वोडिटेलवार जी, एसके झा जी, श्रीमती आभा झा जी, श्रीमती सरिता दुबे जी, मो. जफर जी, दिनेश फांसलकर जी, परसराम वोरा जी, जी डी वैष्णव जी, मो. रफीक शाद जी, डॉ सुखदेव साहू जी सहित स्कूल के वर्तमान प्रिंसिपल मोहनराव सावंत जी को शॉल श्रीफल व प्रतीक चिन्ह के माध्यम से सम्मानित कर सभी को गौरव महसूसहुआ। उनके द्वारा दिए गए आशीर्वचनो से नई स्फूर्ति का संचार हुआ।  कार्यक्रम में उपस्थित साथियों ने अपना परिचय देते हुए अपनी बातें की। गुरुजनोंके साथ भोजन ईत्यादि के पश्चात वही मौज मस्ती और अल्हड़ वातावरण। पूरे दिन का एकएक पल कब व्यतीत हो गया पता ही नहीं चला। इस दौरान दिवंगत शिक्षकों एवं छात्रों कोश्रद्धांजलि भी दी गई।  यादें कार्यक्रम को वाकई यादगार बनाने के लिये आभारी हूं भाई मीनू भल्ला, मोहन सिंग छाबड़ा, सूरज अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, जिग्नेशपारेख, विजय मंगवानी, हितेंद्र तिवारी, किरण दत्तानी,राहुल चौहान, अनिल पवार गोपाल अग्रवाल,प्रदीप अग्रवाल, अनीस वोडितेलवार, राजशेखर गोपावार, चंद्रपाल मोटवानी, बृजेश पांडे, रमेश पाटनी, संजयमोतलग, धर्मेंद्र गाजलवार, धर्मेंद्रशर्मा, शिव सिंह ठाकुर, शरद फड़ताले,राजेश वोरा, डॉ सोनू मलहोत्रा, डॉ सुशील शर्मा, युगल किशोर देवांगन, चेतन पारख, यशवंत जैन, उमेशव्यास, प्रकाश वजरे, उल्लास गोंकड़े,राजेश उपवेजा, अनिल टाटिया, राजेश बागड़ी, हरपाल सिंह कोहली, सुनील मोहदीवाले, मंजीत सिंघ सलूजा, तरुण शर्मा, अनुराग अग्रवाल, अनुपमवर्मा, सूरज शुक्ला, प्रदीप ठाकुर,संतोष अग्रवाल, संजय सुखदेव, ज्ञानचंद अडवाणी, श्याम अडवाणी, सुजीत सिंह, संजय पुराणिक, सचेंद्रमिश्रा, विजय जादवानी, राम पंजवानी,विजय जीवनानी, चंद्रप्रकाश जैन, विजय बक्षी, राजेश कटंकार, राजकुमारमनुजा, जितेंद्र नामपल्लिवार, अजय बरडिया,राजकुमार चंद्राकर, अजय काले, राजेश सोनी, अजय जैन, किशोर चंद्राकर, राजेशमिश्रा, राजकुमार चावड़ा, बालकृष्णमिश्रा, शेलेंद्र जैन, त्रिलोचन सलूजा,शैलेंद्र विश्वकर्मा, अभय कुमार भंसाली,अवध राम सिन्हा, जितेंद्र भोंसले, सैय्यद सईद, प्रफुल जोशी सहित उन सभी साथियों का जिनके नाम त्रुटिवश छूट रहे हैं, विश्वास वे अन्यथा नहीं लेंगे। उनसे क्षमा मांगता हूं।  राजेश बिस्सा 9753743000 & 9302241000

Friday, July 15, 2022

चार धाम का पुण्य अर्थात पंचकोशी यात्रा

चार धाम का पुण्य अर्थात पंचकोशी यात्रा गत दिनों पूरे परिवार के साथ टेंपो ट्रैवलर में बैठकर पंचकोशी यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस दौरान भगवान श्री राजीव लोचन जी, हजारों वर्ष प्राचीन शिव मंदिरों के साथ ही जतमई माता रानी के भी दर्शन हुए। वहां की प्राकृतिक छटा व पहाड़ियों से फुटकर आता झरना देखकर मन प्रफुल्लित है।
पंचकोशी यात्रा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 45 किलोमीटर दूर राजिम के श्री राजीव लोचन मंदिर तथा श्री कुलेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना के पश्चात शुरू होती है और यहीं समाप्त होती है इस दौरान भक्तगण कुलेश्वर नाथ (राजिम), पटेश्वर नाथ, चम्पेश्वर नाथ (चम्पारण्य), ब्राह्मकेश्वर (ब्रह्मणी), पाणेश्वर नाथ (किंफगेश्वर) व कोपेश्वर नाथ ( कोपरा) के मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं। रायपुर से वापस रायपुर आने तक लगभग 200 किलोमीटर का यह सफर छत्तीसगढ़ के धार्मिक सांस्कृतिक व प्राकृतिक रूप से समृद्ध होने का बखूबी एहसास कराता है। पंचकोशी यात्रा के बारे में बहुचर्चित तथ्य यह है कि जो भी व्यक्ति चार धाम की यात्रा नहीं कर सकता अगर वह इस पंचकोशी यात्रा को कर ले तो उसे उसी पुण्य की प्राप्ति होती है जो चार धाम की यात्रा करने पर मिलता। पंचकोशी यात्रा में आने वाले हजारों साल प्राचीन इन शिव जी के मंदिरों के बारे में कहा जाता है कि इनका निर्माण स्वयं विश्वकर्मा जी ने भगवान विष्णु जी के कहने पर किया था। स्थान चयन के लिए भगवान श्री विष्णु जी ने एक कमल का फूल धरती पर गिराया और जहां पर कमल फूल का पराग गिरा वहां श्री राजीव लोचन मंदिर तथा जहां उनकी पंखुड़ियां गिरी उन पांचों जगहों पर महादेव के मंदिर बनाए गए। इनके ही विधिवत दर्शन करने को पंचकोशी यात्रा कहा जाता है। यात्रा सर्वप्रथम श्री राजीव लोचन मंदिर में पूजा अर्चना करने के पश्चात वही संगम पर स्थित उत्पलेश्वर शिव (कुलेश्वर महादेव) मंदिर में पूजा पाठ कर शुरु की जाती है। यात्रा का पहला पड़ाव यहां से 5 किलोमीटर दूर ग्राम पटेवा में स्थित पटेश्वर महादेव मंदिर हैं। यहां पटेश्वर महादेव "अन्नब्रह्म'' के रुप में पूजे जाते हैं। यात्रा का दूसरा पड़ाव होता है यहां से 14 किलोमीटर दूर ग्राम चंपारण में चंपकेश्वर महादेव मंदिर का । यहां भगवान शिव का स्वयं-भू लिंग है। यात्रा का तीसरा पड़ाव होता है यहां से 9 किलोमीटर दूर ब्राह्मनी गांव में स्थित ब्रह्मकेश्वर महादेव मंदिर। ब्रह्मकेश्वर महादेव में भगवान शिव की "अधोर'' वाली मूर्ति है। यात्रा का चौथा पड़ाव होता है राजिम से 16 किलोमीटर फिंगेश्वर नगर में स्थित फणिकेश्वर महादेव मंदिर। यहां भगवान भोलेनाथ की ईशान नाम वाली मूर्ति है। विज्ञानमय कोष का प्रतीक भी माना जाता है। यात्रा का आखरी व पांचवा पड़ाव होता है राजिम से 16 किलोमीटर दूर कोपरा गांव में स्थित कोपेश्वर नाथ मंदिर। इन्हे कर्पूरेश्वर महादेव की कहा जाता है। यह शंख सरोवर तालाब के अंदर स्थित है। यहां स्थित महादेव को आनंदमय कोष का प्रतीक भी माना जाता है। इन सभी हजारों वर्ष प्राचीन महादेव मंदिरों को लेकर अनेकानेक जनश्रुतियां व गौरवशाली इतिहास है जिसका वर्णन किया जाए तो प्रत्येक मंदिर को लेकर एक ग्रंथ लिखा जा सकता है। इस यात्रा के मध्य जतमई एवं घटारानी माता के मंदिर हैं जो घनी घाटियों के मध्य स्थित है यहां का प्राकृतिक सौंदर्य व जलप्रपात अद्भुत आनंद की अनुभूति देता है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। व्यस्तता भरे जीवन में आप लोग भी समय निकालिए और परिवार रिश्तेदारों मित्रों समेत यह यात्रा कर डालिए। यकीन मानिए इस यात्रा में हर उस धार्मिक, सांस्कृतिक व प्राकृतिक छटा का आनंद आपको मिलेगा जिसे पाने के लिए हम सब विभिन्न प्रदेशों के भ्रमण करने का विचार करते रहते हैं और चाह कर भी नहीं जा पाते। राजेश बिस्सा चौबे कॉलोनी, रायपुर छत्तीसगढ़ मोबाइल 9753743000 - 9302241000

Thursday, July 2, 2020

युवाओं की शक्ति को लूट रहे अवसरवादी - राजेश बिस्सा


युवाओं की शक्ति को लूट रहे अवसरवादी

प्रिय युवाओं
सादर वंदे

अवसरवादी आपकी शक्ति को पहचान रहे हैं। वे उस शक्ति का दुरुपयोग करना चाह रहे हैं और बहुत हद तक सफल भी है। आपके पास उपलब्ध समय को लूट लेना चाह रहे हैं और लूट भी रहे हैं। उन अवसरवादियों को यह संदेश देने का समय आ गया है कि झूठ के मायाजाल में फंसाकर अब युवाओं दुरुपयोग नहीं किया जा सकता।

अवसरवादी समझते हैं कि नकारात्मकता  हमेशा  तेजी से पैर फैलाती क्योंकि निंदा में आनंद की अनुभती लेना मानवीय कमजोरी होती है। वे लगातार निंदा रुपी झूठ प्रवाहित करते रहते हैं। युवा उसका आनंद लेने लगते हैं। ये निंदा रुपी झूठ कब धीरे से नफरत का रुप ले लेती है उसे युवा समझ नहीं पाते। इसका पूरा फायदा अवसरवादी उठा लेते हैं।

विश्व के कई देश राष्ट्रवाद, धर्मवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नस्लवाद ईत्यादि की भट्टी में जल रहे हैं। भारत में भी ऐसी भट्टी निरंतर सुलगाई जा रही है। चारों ओर नजर घुमा कर देखो तो इस भट्टी जलता हुआ अंगार युवा दिखाई देते हैं और इस भट्टी के अंगार को हवा देने वाले सिर्फ और सिर्फ अवसरवादी।

आखिर ऐसी क्या कमजोरी है जो युवा को बड़ी आसानी से भटका देती है? वह कमजोरी है युवाओं में आत्म चिंतन व अध्ययन का आभाव। इन आभावों के कारण युवा सत्य व असत्य में अंतर नहीं कर पाते और फायदा अवसरवादी उठा ले जाते हैं।

आप असीम ऊर्जावान है यह बात समझिये। दृढ़-निश्चय शक्ति का प्रवाह अपने में उत्पन्न कीजिये। यह बातें आपको सफलता के द्वार तक ले जायेगी। निराशा से ऊपर उठायेगी। व्यवस्थाओं के ऊपर आपके दवाब को बढ़ायेगी। स्वार्थी तत्वों का कोई भी एजेण्डा आपमें समाहित ऊर्जा लूट नहीं सकेगा। आपको अपने घृणित उद्देश्यों की पूर्ति का हथियार नहीं बना सकेगा।

आप को समझना होगा जब तर्क जवाब देने लग जाएं तब जनमत जुटाने के दो बहुत ही सरल मार्ग है।
पहला – नफरत रुपी झूठ फैलाओ या बदनाम कर दो।
दूसरा – राष्ट्रवाद व धर्मवाद जैसे पवित्र शब्दों के इर्द- गिर्द मायाजाल गढ़ दो।

इन से बचना बहुत जरूरी है। जब भी आपके समक्ष इन दो बिंदुओं से संबंधित विषय सामग्री आती है तो आपको तत्काल समझ जाना चाहिए कि जिस किसी ने भी इस सामग्री को प्रचार प्रसार के लिए आगे भेजा है उसकी मंशा हमारी ऊर्जा का दुरुपयोग करने की है, ना कि नव-निर्माण करने की।

ये बातें अवसरवादियों को मुकाम तक तो तेजी से पहुंचाती है लेकिन उस पर टिका रहना मुमकिन नहीं होता। दुर्भाग्य यह है कि फायदा लेने वालों के लिए टिके रहना मायने नहीं रखता। वे लोग सैकड़ों साल तक याद रखें जायें यह उनका उद्देश्य नहीं रहता। उनका लक्ष्य रहता है सिर्फ तात्कालिक निजी स्वार्थ, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा युवाओं को भुगतना पड़ता है।

इतिहास गवाह है समाज जब दो भागों “हां” और “ना” के बीच बंटा हुआ दिखाई दे तो उस समय नव युवाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि आगे बढ़ने की राह उन्हीं में निहित विचारों से निकल कर आती है। 

राग द्वेष और विद्वेष का वाहक नव युवा कभी नहीं हो सकता और उसे होना भी नहीं चाहिए।  नफरत रूपी विसंगतियां वे अवसरवादी लोग फैलाते हैं जिनका उद्देश्य समाज को देने का नहीं बल्की नेतृत्व-कर्ता बनकर लूटना रहता हैं।

आपकी जरा सी सतर्कता अवसरवादियों के मंसूबे फेल कर सकती है। बस इतना ही करना है कि जो व्यक्ति नफरती या हीन भावना का प्रचार कर रहा है उसके उपर एक दृष्टि डालें की अगर वह नेतृत्वकर्ता है तो उसका क्या त्याग है? अगर वह प्रचारक है तो उसका क्या स्वार्थ है?

अगर इन दो छोटी सी बातों पर आपने ध्यान दे दिया तो यकीन मानिए दुनिया की कोई ताकत आप में भटकाव नहीं ला सकेगी।
जय हिंद ॰॰॰
राजेश बिस्सा
9753743000

लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहते हैं।
रायपुर दिनांक –  24 जून 2020

Saturday, May 23, 2020

युवा मानसिक गुलामी का शिकार होने से बचें - राजेश बिस्सा


युवा मानसिक गुलामी का शिकार होने से बचें
                                                                                          
प्रिय युवाओं
सादर वंदे,

युवा अर्थात जवाबदारी। युवाओं को जवाबदारी का प्रतीक ऐसे ही नहीं माना गया है। अपार संभावनाओं का स्वामी युवा हर असंभव को संभव करने की शक्ति रखता है।

संत कबीर दास जी का एक दोहा है

ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग।
तेरा साईं तुझ ही में है, जाग सके तो जाग।।

 ज्यों तिल माहि तेल है” अर्थात जिस प्रकार छोटे से तिल के दाने में तेल होता है। उसी प्रकार  युवा में असीम संभावनाओं का भंडार होता है। जिसे कुछ प्रयासों से बाहर निकाला जा सकता है।

ज्यों चकमक में आग अर्थात जिस प्रकार आग में रोशनी होती है उसी प्रकार युवा का व्यक्तित्व अपार ऊर्जा से परिपूर्ण होता है। उसका छोटा सा प्रयास भी समाज, राष्ट्र व स्वयं को प्रकाशित कर सकता है।

तेरा सांई तुझ में ही अर्थात आप का ईश्वर आपके अंदर विद्यमान हैं। ईश्वर अर्थात शक्ति। कहने का तात्पर्य आप के अंदर स्वयं असीम शक्ति विद्यमान है, आप जो चाहे वह कर सकते हैं।

जाग सके तो जाग अर्थात इसे अपने में ढूंड सकते हो तो ढूंड लो। ये आपके भीतर ही विद्यमान हैं।

कबीर दास जी का यह दोहा बहुत व्यापकता लिया हुआ है इसे युवाओं को बहुत गहराई से समझना चाहिये। यह आपके जीवन को बदल कर रख सकता है।

कभी सोचा है कि जब आप शक्तिशाली हैं, विवेकशील है, सामर्थ्यवान है, शक्ति का श्रोत है तो क्या कारण है कि जवाबदार आप को गंभीरता से नहीं लेते? वो इसलिए नहीं लेते क्योंकि आप उनकी नजरों में सिर्फ उनके विचारों की गठरी को आवागमन कराने वाली बैलगाड़ी मात्र हो।

शांत चित्त से विचार कीजिएगा कि आज जो विचार और लक्ष्य की गठरी आप लेकर चल रहे हैं, वह आपकी स्वयं की है या दूसरों की। बहुत ही आसान है यह जांच लेना की आप खुद के लिये प्रगतीशील है या दूसरे के एजेण्डे की बैलगाड़ी बने रहने के लिये। ये पांच बिंदू है

1. सर्व धर्म समभाव
2. सर्व समाज समभाव
3. सर्व वर्ग समभाव
4. सर्व जात समभाव
5. सर्व क्षेत्र समभाव

अब आप इन बिंदुओं को लेकर मन में आ रहे सकारात्मक और नकारात्मक विचारों के बारे में सोचिये की वह विचार आपके अध्ययन या अनुभवों पर आधारित हैं या दूसरे के द्वारा प्रस्तुत तर्कों व तथ्यों पर आधारित है। उत्तर आपको मिल जायेगा। सही दिशा में चलने का बोध हो जायेगा।

झूठा व्यवहार व भ्रष्टाचार इस देश के युवाओं का सबसे बड़ा दुश्मन है। इसके लिए जवाबदार वे नहीं जिन्होने आप की आंखों पर भावनाओं की पट्टी को बांध रखा है। इसकी वजह स्वयं आप है जिसने बेवजह अपने को पक्ष और विपक्ष के खेमें बांट लिया है। इस प्रवृत्ती के कारण आपका शासन के ऊपर से नियंत्रण हट गया है। 

वक्त है संभल जाईये, आप जीवन के प्रति जो संतुष्टि का भाव लिए हुए हैं असल में वह आने वाली हताशा का आगाज है। सामर्थ्यवान युवा बनना चाहते हो या फिर समर्थन की मशाल उठाकर चलने वाले गुलाम, फैसला आपको स्वयं करना है।
जय हिंद ....
राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहते हैं।
रायपुर दिनांक  23 मई 2020

Sunday, May 17, 2020

नफरत की भट्ठी के ईंधन हमेशा युवा ही रहे हैं - राजेश बिस्सा

नफरत की भट्ठी के ईंधन हमेशा युवा ही रहे हैं

प्रिय युवाओं,
सादर अभिवादन,

मैं देख रहा हूं की आज युवा बहुत बुझा बुझा सा नजर आ रहा है। ये हताशा ठीक नहीं आक्रमकता जरुरी है। उस आक्रमकता की दिशा राजनीतिक नहीं बल्कि स्वयं से जुड़े मुद्दों के लिए होना चाहिए। आक्रमकता का हमें अपने हितों व समस्याओं के ध्यानाकर्षण के लिये उपयोग करना चाहिए।

यह आक्रामकता हम में तभी आ पाएगी जब हम अवसर वादियों के संदेश वाहक की भूमिका को छोड़ देंगे। और अपने जीवन की खुशियों का आधार रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोटी, कपड़ा और मकान जैसी है जरूरी बातों के संदेश वाहक बन जाऐंगे।

आपको अब जनसंवाद के हर प्लेटफार्म से सिर्फ अपनी और अपनों की बात करने का संकल्प लेना होगा। राजनैतिक, नफरत फैलाती, एक दूसरे को छोटा आंकती व गैर जरुरी बातों का कैरियर बनना बंद करना होगा।

अगर आपने यह बंद नहीं किया तो अततः सिर्फ हताशा हाथ लगेगी। युवाओं में हताशा अर्थात एक पूरी पीढ़ी का हार जाना होता है। जबकि युवा प्रतीक होता है प्रतिकूल परिस्थितियों से नौका को बाहर निकाल कर लाने का। तूफान के सामने चट्टान बन खड़े हो जाने का। इस भावना को जीवित रखियेगा। संपूर्ण समाज आपको बहुत आशा भरी नजरों से देख रहा है।

चुनौती हमेशा प्रसन्नचित्त  स्फूर्तिवान युवा ही दे सकता है। हताश युवा कभी भी चुनौती नहीं बन सकता। अवसरवादी यही चाहते हैं कि उनके सामने कोई चुनौती ना हो। इसलिए वह कभी नहीं चाहेंगे कि आप हताशा से बाहर आयें। इतिहास गवाह है कि नफरत की भट्ठी के ईंधन हमेशा युवा ही रहे हैं। अवसर वादियों के एजेंडे का बोझ हमाल बनकर सदा युवा ही उठाते रहे हैं। 

वक्त आ गया है कि जवाबदारों को यह बात समझा दी जाये कि उनने अगर आपके जीवन को सच्चा व अच्छा करने के लिये ठोस कदम नहीं उठाये तो आपकी नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।

जिस दिन आप व्यवस्था के जवाबदारों को यह संदेश देने में सफल हो जायेंगे की आप अब उसी के साथ खड़े होंगे जो आपकी बातों के प्रति गंभीर है। तो यकीन मानिये नफरत, दूसरे को नीचा दिखाने, भारत पाकिस्तान चीन का तुलनात्मक अध्ययन करने जैसे मुद्दों को आगे कर आपका ध्यान बांटने, आपका समर्थन लेने की उनकी रणनीति में भी सार्थक परिवर्तन आ जायेगा। अब वे रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी जरुरी बातें करने लगेंगे।
  
हमें जवाबदारों को मजबूर करना होगा है कि वे आपके लिये रोजगार, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करें।  उस दिशा में गंभीरता से सोचना शुरू करें। अगर ये तीन बातें पूरी हो गयी तो रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था करने में आप स्वयं ही सक्षम हो जायेंगे।

स्वामी विवेकानंद जी का यह संदेश "उठो जागो और जब तक आप अपने अंतिम ध्येय तक नहीं पहुंच जाते हो तब तक चैन मत लो" आज हर युवा को आत्मसात करने की जरुरत है। इससे निरंतर आगे बढ़ने की व परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति मिलेगी।

व्यवस्थाएं हम से ही बनती हैं। हमारे कारण ही बिगड़ती हैं। हम ही उसके बिगड़े स्वरूप सुधार सकते हैं। इस बात को गांठ बांध लीजिए।

जय हिंद ....

राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहते हैं।
रायपुर दिनांक  16 मई 2020

Monday, May 11, 2020

युवाओं का काम संकीर्ताओं पर आत्म गौरव करना नहीं – राजेश बिस्सा


युवाओं का काम संकीर्णताओं पर आत्म गौरव करना नहीं – राजेश बिस्सा

प्रिय युवाओं
सादर वंदे


तुम नहीं कमजोर, मजबूर मत समझना।
आवाज कर बुलंद, युवाओं का काम धधकना

सशक्त युवा वह सैलाब है, जिसे रोका नहीं जा सकता है। अगर आप शसक्त नहीं है, तो इसका सीधा  मतलब है, आप मजबूर हैं। पराधीन हैं। दूसरे की दया पर निर्भर हैं।

क्या युवाओं का जीवन सिर्फ संकीर्णताओं पर आत्मगौरव महसूस करने से चल जायेगा? क्या जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र, राष्ट्र, सीमाएं, परंपरा, संस्कृति, देशी, विदेशी ईत्यादि जैसे मुद्दों पर दिन दिन भर चर्चा करने, संदेशों को कॉपी पेस्ट कर आदान प्रदान करने मात्र से व्यवस्थित व सफल हो जायेगा? अगर नहीं, तो विचार कीजिये भागते समय के बीच आप कहां खड़े हैं? कहां जा रहे हैं? आपकी जीवन यात्रा कहीं इन्ही विषयों के मध्य खोती तो नहीं जा रही है?
  
युवाओं को अधिकार एवं कर्तव्य ये दो ऐसी महत्वपूर्ण शक्तियां प्राप्त है, जो उसे सामर्थ्यवान बनने का अवसर प्रदान करती है।

अधिकार - वह ताकत है जो संवैधानिक व्यवस्थाकानून व नियम कायदों से मिलती है।
कर्तव्य - वो दायित्व है जो हमें स्व प्रेरणानैतिक मूल्यों व कानून से प्राप्त होते है।  

यह दोनों एक दूसरे के पूरक है। अगर आपके पास अधिकार नहीं है तो आप कर्तव्यों का पालन नहीं कर सकते। और अगर आप कर्तव्यों का पालन नहीं कर सकते तो राष्ट्र, समाज, परिवार तथा अपने को मजबूत नहीं कर सकते। 

मजबूर व हताश युवा कभी चुनौती नहीं बन सकता। यह बात व्यवस्था ने बहुत अच्छे तरीके से समझ ली है। इसलिये अब जवाबदार व्यवस्थाऐं हमारे संवैधानिक अधिकारों पर भी नियंत्रण के प्रयास में लग गयी हैं। 

हमें संवैधानिक रूप से छह मूल अधिकार प्राप्त हैं

1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18), 
2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22),
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24),
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28),
5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
6. संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32)

इनमें से जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकारतो वह अधिकार है, जिसे राष्ट्रीय आपातकाल में भी स्थगित नहीं किया जा सकता। आज हम देख रहे हैं कि डंके की चोट पर व्यवस्थाएं आपके अधिकारों पर अतिक्रमण करने के लिए आगे बढ़ चुकी है। आपके अधिकारों को कुचला जा रहा है। आप कर्तव्यों का पालन न कर पाए ऐसा वातावरण बनाया जा रहा है। सतर्क हो जाइए। वर्ना जिंदगी भर घुटने टेके रहने होगा। हाथ फैलाये रखना होगा।

यह विसंगति सिर्फ इसलिये हावी हो रही है क्योंकि युवाओं ने व्यवस्था के प्रति अंधश्रद्धा पाल रखी है। मौन धारण कर रखा है। प्रश्न करना बंद कर दिया है। व्यवस्थायें आपको गंभीरता से लें इसके लिये जागरुक होना होगा। आपको संकल्पित होना होगा की अपने अधिकारों को कुचलने नहीं देंगे और कर्तव्यों के पालन से पीछे नहीं हटेंगे।

जय हिंद ...

राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहते हैं।
रायपुर दिनांक  11 मई 2020