Wednesday, July 27, 2022

स्कूल चले हम

स्कूल चले हम
हम लगभग 37 सालों बाद दिन रविवार 24 जुलाई को एकबार फिर बचपन में लौटने का मौका मिला। एक बहुत विशाल नया परिवार मिला। मन गदगद था, खुशियां समेटे नहीं सिमट रही थी। अवसर था 1984-85 के स्कूल सखाओं का “यादें”कार्यक्रम के तहत प्रो॰ जे एन पांडे गवर्नमेंट हाई स्कूल आगमन का और दिन भरउन्हीं दिनों सा स्कूली जीवन जीने का।   "यादें" कार्यक्रम का आयोजन आसान नहीं था, यह सब संभव हो सका मीनू भल्ला, मोहन सिंह छाबड़ा,जिग्नेश पारख, एड. बृजेश पांडे, राजेश मिश्रा सहित कुछ अन्य साथियों के बरसों के चिंतन और साढ़े 3 साल की मेहनत से। वे इसके लिए धन्यवाद और बधाई के पात्र हैं। स्कूल के वर्तमान प्राचार्य मोहनराव सावंत जी ने भीकार्यक्रम की सफलता के लिए बहुत उत्साह प्रदर्शित किया, हर संभव मदद की। वे इसीस्कूल के छात्र भी रहे हैं एवं एक दो वर्ष सीनियर उमाशंकर व्यास जी की उपस्थितिएवं उनके द्वारा प्रदर्शित अपनत्व की जितनी तारीफ की जाए कम है।  इस कार्यक्रम के दौरान एक बहुत ही महत्वपूर्ण वअद्भुत पहलू सामने आया वह था अपनी जवाबदारीयों को समझना औरआगे बढ़कर पहल करना। इसके लिए सभी साथियों ने संकल्प लिया कि अपने स्कूल की यथासंभव मदद करेंगे तथा जितने भी स्कूल के सखा व गुरुजन हैंउन्हें अपने ही परिवार का अंग मानते हुए हर एक के सुख और दुख में साथ खड़े रहेंगे।  कार्यक्रम के पहले चरण में प्रातः 09:30 बजे 100 से अधिक तत्कालीन विद्यार्थीसाथियों ने अपने पुराने गवर्नमेंट स्कूल में शिरकत की। सभी साथी स्कूल ड्रेस में ही उपस्थित हुए। स्कूल में रोज गाई जाने वाली प्रार्थना व राष्ट्रगान किया। स्कूल के प्रांगण में धमा-चौकड़ी मचाई स्कूल के कमरों में बैठकर पुरानी यादें ताजा की, स्कूल के हाल में बैठकर स्कूल के बारे में जाना समझा व यादगारके रुप में वृक्षारोपण किया।   “यादें” कार्यक्रम का दूसरा चरण होटल अरेना केकांफ्रेस हाल में संपन्न हुआ। कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया हम सब को पढ़ाचुके 18 शिक्षकों की उपस्थिति ने। आदरणीय बी पी अग्रवाल जी (तत्कालीन प्राचार्य), बी बी शुक्ला जी,के सी माहेश्वरी जी, ए के गांधी जी, एन के रिछरिया जी, एल डी दुबे जी, ब्रिजकिशोर वोडिटेलवार जी, एसके झा जी, श्रीमती आभा झा जी, श्रीमती सरिता दुबे जी, मो. जफर जी, दिनेश फांसलकर जी, परसराम वोरा जी, जी डी वैष्णव जी, मो. रफीक शाद जी, डॉ सुखदेव साहू जी सहित स्कूल के वर्तमान प्रिंसिपल मोहनराव सावंत जी को शॉल श्रीफल व प्रतीक चिन्ह के माध्यम से सम्मानित कर सभी को गौरव महसूसहुआ। उनके द्वारा दिए गए आशीर्वचनो से नई स्फूर्ति का संचार हुआ।  कार्यक्रम में उपस्थित साथियों ने अपना परिचय देते हुए अपनी बातें की। गुरुजनोंके साथ भोजन ईत्यादि के पश्चात वही मौज मस्ती और अल्हड़ वातावरण। पूरे दिन का एकएक पल कब व्यतीत हो गया पता ही नहीं चला। इस दौरान दिवंगत शिक्षकों एवं छात्रों कोश्रद्धांजलि भी दी गई।  यादें कार्यक्रम को वाकई यादगार बनाने के लिये आभारी हूं भाई मीनू भल्ला, मोहन सिंग छाबड़ा, सूरज अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, जिग्नेशपारेख, विजय मंगवानी, हितेंद्र तिवारी, किरण दत्तानी,राहुल चौहान, अनिल पवार गोपाल अग्रवाल,प्रदीप अग्रवाल, अनीस वोडितेलवार, राजशेखर गोपावार, चंद्रपाल मोटवानी, बृजेश पांडे, रमेश पाटनी, संजयमोतलग, धर्मेंद्र गाजलवार, धर्मेंद्रशर्मा, शिव सिंह ठाकुर, शरद फड़ताले,राजेश वोरा, डॉ सोनू मलहोत्रा, डॉ सुशील शर्मा, युगल किशोर देवांगन, चेतन पारख, यशवंत जैन, उमेशव्यास, प्रकाश वजरे, उल्लास गोंकड़े,राजेश उपवेजा, अनिल टाटिया, राजेश बागड़ी, हरपाल सिंह कोहली, सुनील मोहदीवाले, मंजीत सिंघ सलूजा, तरुण शर्मा, अनुराग अग्रवाल, अनुपमवर्मा, सूरज शुक्ला, प्रदीप ठाकुर,संतोष अग्रवाल, संजय सुखदेव, ज्ञानचंद अडवाणी, श्याम अडवाणी, सुजीत सिंह, संजय पुराणिक, सचेंद्रमिश्रा, विजय जादवानी, राम पंजवानी,विजय जीवनानी, चंद्रप्रकाश जैन, विजय बक्षी, राजेश कटंकार, राजकुमारमनुजा, जितेंद्र नामपल्लिवार, अजय बरडिया,राजकुमार चंद्राकर, अजय काले, राजेश सोनी, अजय जैन, किशोर चंद्राकर, राजेशमिश्रा, राजकुमार चावड़ा, बालकृष्णमिश्रा, शेलेंद्र जैन, त्रिलोचन सलूजा,शैलेंद्र विश्वकर्मा, अभय कुमार भंसाली,अवध राम सिन्हा, जितेंद्र भोंसले, सैय्यद सईद, प्रफुल जोशी सहित उन सभी साथियों का जिनके नाम त्रुटिवश छूट रहे हैं, विश्वास वे अन्यथा नहीं लेंगे। उनसे क्षमा मांगता हूं।  राजेश बिस्सा 9753743000 & 9302241000

Friday, July 15, 2022

चार धाम का पुण्य अर्थात पंचकोशी यात्रा

चार धाम का पुण्य अर्थात पंचकोशी यात्रा गत दिनों पूरे परिवार के साथ टेंपो ट्रैवलर में बैठकर पंचकोशी यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस दौरान भगवान श्री राजीव लोचन जी, हजारों वर्ष प्राचीन शिव मंदिरों के साथ ही जतमई माता रानी के भी दर्शन हुए। वहां की प्राकृतिक छटा व पहाड़ियों से फुटकर आता झरना देखकर मन प्रफुल्लित है।
पंचकोशी यात्रा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 45 किलोमीटर दूर राजिम के श्री राजीव लोचन मंदिर तथा श्री कुलेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना के पश्चात शुरू होती है और यहीं समाप्त होती है इस दौरान भक्तगण कुलेश्वर नाथ (राजिम), पटेश्वर नाथ, चम्पेश्वर नाथ (चम्पारण्य), ब्राह्मकेश्वर (ब्रह्मणी), पाणेश्वर नाथ (किंफगेश्वर) व कोपेश्वर नाथ ( कोपरा) के मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं। रायपुर से वापस रायपुर आने तक लगभग 200 किलोमीटर का यह सफर छत्तीसगढ़ के धार्मिक सांस्कृतिक व प्राकृतिक रूप से समृद्ध होने का बखूबी एहसास कराता है। पंचकोशी यात्रा के बारे में बहुचर्चित तथ्य यह है कि जो भी व्यक्ति चार धाम की यात्रा नहीं कर सकता अगर वह इस पंचकोशी यात्रा को कर ले तो उसे उसी पुण्य की प्राप्ति होती है जो चार धाम की यात्रा करने पर मिलता। पंचकोशी यात्रा में आने वाले हजारों साल प्राचीन इन शिव जी के मंदिरों के बारे में कहा जाता है कि इनका निर्माण स्वयं विश्वकर्मा जी ने भगवान विष्णु जी के कहने पर किया था। स्थान चयन के लिए भगवान श्री विष्णु जी ने एक कमल का फूल धरती पर गिराया और जहां पर कमल फूल का पराग गिरा वहां श्री राजीव लोचन मंदिर तथा जहां उनकी पंखुड़ियां गिरी उन पांचों जगहों पर महादेव के मंदिर बनाए गए। इनके ही विधिवत दर्शन करने को पंचकोशी यात्रा कहा जाता है। यात्रा सर्वप्रथम श्री राजीव लोचन मंदिर में पूजा अर्चना करने के पश्चात वही संगम पर स्थित उत्पलेश्वर शिव (कुलेश्वर महादेव) मंदिर में पूजा पाठ कर शुरु की जाती है। यात्रा का पहला पड़ाव यहां से 5 किलोमीटर दूर ग्राम पटेवा में स्थित पटेश्वर महादेव मंदिर हैं। यहां पटेश्वर महादेव "अन्नब्रह्म'' के रुप में पूजे जाते हैं। यात्रा का दूसरा पड़ाव होता है यहां से 14 किलोमीटर दूर ग्राम चंपारण में चंपकेश्वर महादेव मंदिर का । यहां भगवान शिव का स्वयं-भू लिंग है। यात्रा का तीसरा पड़ाव होता है यहां से 9 किलोमीटर दूर ब्राह्मनी गांव में स्थित ब्रह्मकेश्वर महादेव मंदिर। ब्रह्मकेश्वर महादेव में भगवान शिव की "अधोर'' वाली मूर्ति है। यात्रा का चौथा पड़ाव होता है राजिम से 16 किलोमीटर फिंगेश्वर नगर में स्थित फणिकेश्वर महादेव मंदिर। यहां भगवान भोलेनाथ की ईशान नाम वाली मूर्ति है। विज्ञानमय कोष का प्रतीक भी माना जाता है। यात्रा का आखरी व पांचवा पड़ाव होता है राजिम से 16 किलोमीटर दूर कोपरा गांव में स्थित कोपेश्वर नाथ मंदिर। इन्हे कर्पूरेश्वर महादेव की कहा जाता है। यह शंख सरोवर तालाब के अंदर स्थित है। यहां स्थित महादेव को आनंदमय कोष का प्रतीक भी माना जाता है। इन सभी हजारों वर्ष प्राचीन महादेव मंदिरों को लेकर अनेकानेक जनश्रुतियां व गौरवशाली इतिहास है जिसका वर्णन किया जाए तो प्रत्येक मंदिर को लेकर एक ग्रंथ लिखा जा सकता है। इस यात्रा के मध्य जतमई एवं घटारानी माता के मंदिर हैं जो घनी घाटियों के मध्य स्थित है यहां का प्राकृतिक सौंदर्य व जलप्रपात अद्भुत आनंद की अनुभूति देता है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। व्यस्तता भरे जीवन में आप लोग भी समय निकालिए और परिवार रिश्तेदारों मित्रों समेत यह यात्रा कर डालिए। यकीन मानिए इस यात्रा में हर उस धार्मिक, सांस्कृतिक व प्राकृतिक छटा का आनंद आपको मिलेगा जिसे पाने के लिए हम सब विभिन्न प्रदेशों के भ्रमण करने का विचार करते रहते हैं और चाह कर भी नहीं जा पाते। राजेश बिस्सा चौबे कॉलोनी, रायपुर छत्तीसगढ़ मोबाइल 9753743000 - 9302241000