Friday, July 15, 2022

चार धाम का पुण्य अर्थात पंचकोशी यात्रा

चार धाम का पुण्य अर्थात पंचकोशी यात्रा गत दिनों पूरे परिवार के साथ टेंपो ट्रैवलर में बैठकर पंचकोशी यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस दौरान भगवान श्री राजीव लोचन जी, हजारों वर्ष प्राचीन शिव मंदिरों के साथ ही जतमई माता रानी के भी दर्शन हुए। वहां की प्राकृतिक छटा व पहाड़ियों से फुटकर आता झरना देखकर मन प्रफुल्लित है।
पंचकोशी यात्रा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 45 किलोमीटर दूर राजिम के श्री राजीव लोचन मंदिर तथा श्री कुलेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना के पश्चात शुरू होती है और यहीं समाप्त होती है इस दौरान भक्तगण कुलेश्वर नाथ (राजिम), पटेश्वर नाथ, चम्पेश्वर नाथ (चम्पारण्य), ब्राह्मकेश्वर (ब्रह्मणी), पाणेश्वर नाथ (किंफगेश्वर) व कोपेश्वर नाथ ( कोपरा) के मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं। रायपुर से वापस रायपुर आने तक लगभग 200 किलोमीटर का यह सफर छत्तीसगढ़ के धार्मिक सांस्कृतिक व प्राकृतिक रूप से समृद्ध होने का बखूबी एहसास कराता है। पंचकोशी यात्रा के बारे में बहुचर्चित तथ्य यह है कि जो भी व्यक्ति चार धाम की यात्रा नहीं कर सकता अगर वह इस पंचकोशी यात्रा को कर ले तो उसे उसी पुण्य की प्राप्ति होती है जो चार धाम की यात्रा करने पर मिलता। पंचकोशी यात्रा में आने वाले हजारों साल प्राचीन इन शिव जी के मंदिरों के बारे में कहा जाता है कि इनका निर्माण स्वयं विश्वकर्मा जी ने भगवान विष्णु जी के कहने पर किया था। स्थान चयन के लिए भगवान श्री विष्णु जी ने एक कमल का फूल धरती पर गिराया और जहां पर कमल फूल का पराग गिरा वहां श्री राजीव लोचन मंदिर तथा जहां उनकी पंखुड़ियां गिरी उन पांचों जगहों पर महादेव के मंदिर बनाए गए। इनके ही विधिवत दर्शन करने को पंचकोशी यात्रा कहा जाता है। यात्रा सर्वप्रथम श्री राजीव लोचन मंदिर में पूजा अर्चना करने के पश्चात वही संगम पर स्थित उत्पलेश्वर शिव (कुलेश्वर महादेव) मंदिर में पूजा पाठ कर शुरु की जाती है। यात्रा का पहला पड़ाव यहां से 5 किलोमीटर दूर ग्राम पटेवा में स्थित पटेश्वर महादेव मंदिर हैं। यहां पटेश्वर महादेव "अन्नब्रह्म'' के रुप में पूजे जाते हैं। यात्रा का दूसरा पड़ाव होता है यहां से 14 किलोमीटर दूर ग्राम चंपारण में चंपकेश्वर महादेव मंदिर का । यहां भगवान शिव का स्वयं-भू लिंग है। यात्रा का तीसरा पड़ाव होता है यहां से 9 किलोमीटर दूर ब्राह्मनी गांव में स्थित ब्रह्मकेश्वर महादेव मंदिर। ब्रह्मकेश्वर महादेव में भगवान शिव की "अधोर'' वाली मूर्ति है। यात्रा का चौथा पड़ाव होता है राजिम से 16 किलोमीटर फिंगेश्वर नगर में स्थित फणिकेश्वर महादेव मंदिर। यहां भगवान भोलेनाथ की ईशान नाम वाली मूर्ति है। विज्ञानमय कोष का प्रतीक भी माना जाता है। यात्रा का आखरी व पांचवा पड़ाव होता है राजिम से 16 किलोमीटर दूर कोपरा गांव में स्थित कोपेश्वर नाथ मंदिर। इन्हे कर्पूरेश्वर महादेव की कहा जाता है। यह शंख सरोवर तालाब के अंदर स्थित है। यहां स्थित महादेव को आनंदमय कोष का प्रतीक भी माना जाता है। इन सभी हजारों वर्ष प्राचीन महादेव मंदिरों को लेकर अनेकानेक जनश्रुतियां व गौरवशाली इतिहास है जिसका वर्णन किया जाए तो प्रत्येक मंदिर को लेकर एक ग्रंथ लिखा जा सकता है। इस यात्रा के मध्य जतमई एवं घटारानी माता के मंदिर हैं जो घनी घाटियों के मध्य स्थित है यहां का प्राकृतिक सौंदर्य व जलप्रपात अद्भुत आनंद की अनुभूति देता है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। व्यस्तता भरे जीवन में आप लोग भी समय निकालिए और परिवार रिश्तेदारों मित्रों समेत यह यात्रा कर डालिए। यकीन मानिए इस यात्रा में हर उस धार्मिक, सांस्कृतिक व प्राकृतिक छटा का आनंद आपको मिलेगा जिसे पाने के लिए हम सब विभिन्न प्रदेशों के भ्रमण करने का विचार करते रहते हैं और चाह कर भी नहीं जा पाते। राजेश बिस्सा चौबे कॉलोनी, रायपुर छत्तीसगढ़ मोबाइल 9753743000 - 9302241000

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