Tuesday, April 14, 2020

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को खुला खत - कोरोना से लड़ाई का रोड़ मैप बतायें

माननीय मोदी जी,
सादर अभिवादन

अंबेडकर जयंती के दिन मैं दुर्भाग्यवश उन लोगों को रोते बिलखते सड़कों पर देख रहा हूं जिनके कल्याण के लिये बाबा साहब ने पूरा जीवन अर्पण कर दिया था। मुंबई में आज जिस तरह का जन सैलाब अपने घर की ओर जाने के लिये रेल्वे स्टेशन पर उमड़ा तथा पुलिस की लाठियों का शिकार हुआ। वह मन को बहुत व्यथित करने वाला है। कमोबेश यही स्थिती अन्य जगहों पर भी होगी। क्योंकि गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों की समस्या एक सी ही होती है।

यही कारण है की विनती पूर्व पत्र लिख आपसे अपील कर रहा हूं। इस कठिन घड़ी में देश वासी हर स्तर पर आपके साथ खड़ा है पर आप भी तो देशवासियों को यह अहसास कराईये की आप उसके लिये हर स्तर पर साथ खड़े हैं।

भूख से विचलित, भविश्य को लेकर चिंतित आम जन मानस के दर्द को सात रेस कोर्स जो आपका बंगला है उससे बाहर आकर महसूस कीजिये। उसे भविश्य के अंधकार के डर से बाहर निकालिये।

आज आप आये इवेंट मैनेजमैंट कार्यक्रम की तरह देश को संबोधित करके चले गये। लेकिन बहुत से प्रश्न अनुत्तरित रह गये। जनता कोरोना से लड़ने की प्रतिबद्धता के साथ यह जानना चाहती थी की इस दौरान उनके जीवन को आसान बनाने के लिये केंद्र सरकार का रोड मैप क्या होगा ? लेकिन आपने कुछ नहीं कहा यह मन को तोड़ने वाला था। आपका ध्यानाकर्षण कुछ बातों की ओर कर रहा हूं आशा है संज्ञान लेंगे –

करोड़ों मज़दूर आज रोज़गार-रोटी के संकट से जूझ रहे हैं इस पर आपकी ठोस रणनीति क्या है?

नौकरियाँ जाने की दर अपने चरम पर है करोड़ों युवा व बेरोजगारों को बताया जाना चाहिये की कोविड-19 एकनॉमिक रिकवरी टास्क फ़ोर्स जैसे बड़े शब्दों की जमीनी हकीकत क्या है ?

देश की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग दुकानदार, लघु और मध्यम उद्योग त्रासद जनक स्थिति में हैं। इन्हें आर्थिक मदद दिये जाने के बारे आपकी योजना क्या है ?

हर प्रदेशवासी आपकी ओर देख रहा है कि आर्थिक संकट से पार पाने हेतु आप आर्थिक पैकेज देंगे लेकिन आपकी इस दिशा में चुप्पी लोगों का दिल बैठाती जा रही है।

कोरोना की रोकथाम के लिये उसका टेस्ट बहुत बड़ा उपाय है पिछले 72 दिनों का रिकार्ड देखें तो औसत लगभग तीन हजार टेस्ट प्रतिदिन आता है। कई गुना टेस्ट बढ़ाने की आपकी कार्य योजना क्या है?

एन-95 मास्क और पीपीई किट की भारी कमी से जुझ रहे डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी, सफ़ाई कर्मी व मानव दूतों को यह सुरक्षाकवच कब तक उपलब्ध होगा?

किसानों के लिये आपकी कार्य योजना क्या है?

जैसे जैसे करोना का प्रकोप बढ़ रहा है वैसे वैसे केंद्र सरकार की नियत और नीति की कमी देशवासी महसूस कर रहे हैं। उनका सब्र का बांध टूट रहा है।

आशा है आप इस संबंध में देशवासियों को आश्वस्त करेंगे जिससे भविश्य में अप्रिय स्थिती उत्पन्न ना हो।
जय हिंद ...
राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहे हैं।
14 अप्रैल 2020

Monday, April 13, 2020

भारत नंदन.. युवा तुम

भारत नंदन.. युवा तुम 
उन्मुक्त गगन में जो डोले
निडरता से जो बोले
करताल सुन शत्रु भागे
स्वतंत्र सोच की नदिया तुम
वो भारत नंदन.. युवा हो तुम

खड़ा हुआ तो पर्वत सा
नाराज हुआ लावा फूटा
पवन वेग के हे गामी
विचार प्रवाह की नदियां तुम
वो भारत नंदन.. युवा हो तुम

मुश्किलों में जो खड़ा रहा
अपनी बातों पर अड़ा रहा
कर्तव्य बोध के हे सूचक
दिशा बोध की नदियां तुम 
वो भारत नंदन.. युवा हो तुम

दया के उन्मुक्त सागर
करुणा से भरी हुई गागर
सेवा धर्म के हे सेतु
परोपकार की नदिया तुम
वो भारत नंदन.. युवा हो तुम
राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहे हैं।

‍14 अप्रैल 2020

Saturday, April 11, 2020


हम शासक हैं
 
प्रिय युवाओं 
सादर वंदे

मौन धरे यूं न बैठ, आवाज कर
वजूद इसी में है, प्रश्न खड़ा कर

मां भारती के लाल, भय कैसा
उठ खड़ा हो, बेखौफ सवाल कर

“युवा यानी सूर्य” अर्थात युवा का काम है प्रकाश फैलाना ना कि अंधेरी गुफाओं में मातम मनाना। मां भारती के लाल में नकारात्मकता, डर, भय, अज्ञानता का कोई स्थान नहीं हो सकता।

क्या आप सोचते हैं कि हमारी कौन सुनेगा?
क्या आप को लगता है कि आप कमजोर हैं?
क्या आप को शासन से सीधा संवाद करने में संकोच होता है?
क्या आप दूसरे के पहलू में अपने को सुरक्षित या बलवान समझते हैं
क्या आप भीड़ तंत्र का हिस्सा बने रहने में अपनी भलाई समझते है?

अगर इन सब बातों का उत्तर आपका मन “हां” में दे रहा है तो जान लीजिये कि आप युवा होने का अहसास खोते जा रहे हैं। आप शासक होने का अधिकार छोड़ रहे हैं।

आप सोच रहे होंगे की हम शासक कैसे हो सकते हैं। तो अच्छे से समझ जाइए कि शासक और शासन क्या होता है।

शासक के लिए काम करने वाली मशीनरी को शासन कहा जाता हैं। हमें यह बहुत गहराई से समझना होगा कि लोकतंत्र में असली शासक आम जन मानस और युवा है। वह तय करता है कि शासन करने वाली मशीनरी कौन हो। अर्थात जिसे हम आज शासक समझते हैं वो सेवक है और आप युवा शासक ।

हम शासक हैं, यह जज्बा हमेशा अपने में जागृत रखें। जब हम शासक हैं तो कोई कारण नहीं बनता कि हम अपने आप को असहाय महसूस करें। अपने को कमजोर महसूस करें। दूसरे की बातों को अपने जीवन की राह माने।

हमारी कमजोरी या कह लीजिए समझ व अध्ययन की कमी ने हमसे शासक होने का भाव छीन लिया है। जिन्हें हमने सेवा करने के लिए चुना उन्हे हमने ही शासक मान लिया है। अगर आप जागृत हो गए तो यह भ्रम टूटने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। जब हम सत्ता की चाबी किसी को सौंपते हैं तो हम उसे काम करने वाला अपना प्रतिनिधि मान कर देते हैं ना की हमारे ऊपर राज करने वाला शासक बना कर।

जिस दिन युवा अपनी स्वतंत्र सोच को विराम देते हैं उस दिन हम अपने ऊपर किसी और को शासन करने का अधिकार दे देते हैं । हमारा प्रश्न पूछने का अधिकार खत्म हो जाता है। हमारी बेबसी का दौर शुरू हो जाता है।

शासन कोई भी करे शासक होने का अपना अधिकार हमें नहीं खोना है। शासन हमारे द्वारा बैठाया हुआ हमारे लिये कार्य करने वाला तंत्र है। उससे निःसंकोच संवाद कीजिये। प्रश्न कीजिये। स्व-विवेकी बनिये। भीड़ तंत्र का हिस्सा बनकर अपनी शक्ति मत खत्म करिये।

इतिहास भी गवाह है कि “जब जब युवा जागा है - अंधकार भागा है।”

राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहते हैं।
रायपुर दिनांक – 12 अप्रैल 2020

भजन - मेरा जीवन तार दे प्रभु


// स्व-रचित भजन //

मेरा जीवन तार दे प्रभु

मेरा जीवन तार दे प्रभु, अब चाहूं मैं विश्राम
बहुत जी लिया खुद के लिये, कुछ तेरे आऊं काम

माया देख ना मन डोले
ना प्रतिषोध के शोले भड़के
इर्ष्या की भट्टी से निकलकर
पंच विकारों को दूं मात
देख जमाने की सूरत

सदा उठे ये भाव ॰॰॰॰॰॰
कैसे करुं मैं भला सबका, कैसे आऊं जगत के काम

मेरा जीवन तार दे प्रभु, अब चाहूं मैं विश्राम
बहुत जी लिया खुद के लिये कुछ तेरे आऊं काम

दूसरों को सुख देकर
मन का सुख मैं पाऊं
सच की राह चल रहे को
और आगे तक ले जाऊं
देख जमाने की हालत

सदा उठे ये भाव ॰॰॰॰॰॰
कैसे करुं मैं भला सबका, कैसे आऊं जगत के काम

मेरा जीवन तार दे प्रभु, अब चाहूं मैं विश्राम
बहुत जी लिया खुद के लिये कुछ तेरे आऊं काम

पर पीड़ा हरकर
लोगों को सुख पहुंचाउं
दीन दुःखी ना रहे जग में
सब को तुझमें समाऊं
देख जगत का चित्र

सदा उठे ये भाव ॰॰॰॰॰
कैसे करुं मैं भला सबका, कैसे आऊं जगत के काम

मेरा जीवन तार दे प्रभु, अब चाहूं मैं विश्राम
बहुत जी लिया खुद के लिये कुछ तेरे आऊं काम

भजन रचना

राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहते हैं।

Monday, April 6, 2020

“युवा अर्थात स्वतंत्र सोच” युवाओं के नाम खुला खत



युवाओं के नाम खुला खत

“युवा अर्थात स्वतंत्र सोच”

प्रिय युवाओं 
सादर वंदे

तुम हो युवा ताकत बनो
तिमिर मार्ग से निकलना है
राह गढ़ो सुपथ बनाओ
तुझे कंटक मार्ग हरना हैं
आयेंगी मुश्किलें अनेक
पर क्या फर्क पड़ता है
युवा जब ठान ले तो
पर्वत भी डोलता है

जो लोग दूसरे के ज्ञान से दुनिया बदलने की सोचते हैं वह वास्तव में उस व्यक्ति के हाथों का हथियार होते हैं जो स्वयं स्वार्थ लाभ के लिये दूसरों के कंधों का इस्तेमाल करने में माहिर होते हैं।

स्वामी विवेकानंद जी ने युवाओं को कहा की ‘’अपने आप को शिक्षित करो''

“युवा अर्थात स्वतंत्र सोच” लेकिन यह सूत्र कुछ खोया खोया सा लगता है। युवाओं की लाचारी मन को क्लांत कर देती है। जिन युवा कांधों पर भविष्य की अनेको जवाबदारियों डोल रही हों उनका बल बुद्धी विवेक अगर मन में प्रश्न खड़ा करे तो तकलीफ होती है। 

अज्ञानता उस वक्त बहुत घातक हो जाती है जब वो ज्ञान का चोला ओढ़कर समाज परिवर्तन को निकल पड़ती है। आज भारत में कुछ ऐसा ही हो रहा है। मुर्गा बांग देकर जाता है और उसकी बांग से जागृत हुए तत्व उस बांग के पीछे के भावार्थ को समझाने के लिये निकल पड़ते हैं। जिसका इल्म स्वयं उस मुर्गे तक को नहीं होता।  

”मुर्गे की बांग से जागृत” लोगों को देखता हूं तो “महान कवी कालीदास जी” का स्मरण ताजा हो जाता है। कालीदास जी पहले भारी अज्ञानी व आला दर्जे के मूर्ख थे उनके बारे में यह वाकया बहुत प्रचलित है कि वो उसी डाल को काट रहे थे जिस पर बैठे हुए थे। उन्हे इस बात का भी इल्म नहीं था कि वे अगर डाल काट देंगे तो उस डाल के साथ ही साथ नीचे गिर कर स्वयं भी चोटिल हो जायेंगे। लेकिन बाद में ठोकर खाने के बाद जब वो अध्ययन करते हैं, चिंतन मनन करते हैं, तो वो संस्कृत के महान ज्ञाता व साहित्यकार बनते हैं। जिसे आज हम सब हजारों साल बाद भी पढ़ रहे हैं। 

“कालीदास जी” की “मुर्गे की बांग से जागृत” लोगों की तुलना इसलिये कर रहा हूं क्योंकि मैं उन्हे दूषित मानसिकता का नहीं मानता बल्की मैं मानता हूं कि कालीदास जी की भांती वे अभी अज्ञानता के सागर में गोते लगा रहे हैं। 

मेरा मानना है कि जिस तरह कालीदास जी ठोकर खाकर ज्ञान प्राप्ति कि दिशा को अग्रसर हुए थे एक दिन मुर्गे की बांग से जागृत लोग भी सोशल मीडिया के शरारती ज्ञान से विमुक्त होकर सत्य ज्ञान के प्रकाश को प्राप्त करेंगे। स्वयं का सार्थक चिंतन मनन अध्ययन करके समाज परिवर्तन के योद्धा साबित होंगे। जगत को रौशन करेंगे।

किसी ने भड़काया हम भड़क गये।
किसी ने समझाया हम समझ गये।
किसी ने दौड़ाया हम दौड़ गये।
किसी ने रोका हम रुक गये। 

अगर आप इन चार बातों में से किसी भी एक के करीब अपने को पाते हैं तो समझ जाईये आप जीवन के शुरुवाती दौर के वो कालीदास हैं जो अज्ञानता के भंवर में फंसे हुए हैं। अब आप का लक्ष्य उससे बाहर निकलने का होना चाहिये।

प्रिय युवा साथियों हां में हां मिलाकर वृंदगान करना जवानी का उद्घोष नहीं। जो ज्ञान का प्रकाश लिये बांटता चले वो युवा है। जो निडरता से व्यवस्था पर प्रश्न करे वो युवा है। जो व्यवस्था को सुझाव दे वो युवा है।

जय हिंद ...

राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहते हैं।

Monday, March 30, 2020

युवाओ के नाम खुला खत कहीं आप स्लीपर सेल तो नहीं बनते जा रहे हैं


प्रिय युवाओं
सादर वंदे
हो युवा तो युवाओं वाली बात होना चाहिए
प्रश्न खड़ा कर सको ऐसा जज्बा होना चाहिए
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि “आज के युवा वर्ग को, जिसमें देश का भविष्य निहित है, उसे ऐसा प्रयास करना होगा ताकि उनके भीतर जगी हुई प्रेरणा तथा उत्साह ठीक पथ पर संचालित हो, अन्यथा शक्ति का ऐसा अपव्यय या दुरुपयोग हो सकता है कि जिससे मनुष्य की भलाई के स्थान पर बुराई ही होगी।“

शहीद भगत सिंह ने कहा की “युवाओं में भूकंप सी भयंकरता भरी हुई होती है। इसलिये वह उन्नती के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच सकता है तो वह अंधपात के गहरे खंदक में भी गिर सकता है।“

ये दोनों महान हस्तियां हमेशा युवाओं की प्रेरणा श्रोत रही हैं। दोनों ने ही युवाओं में अपार शक्ति को माना है। दोनो का ही मानना है कि युवा चाहे तो संसार को रौशन कर सकता है लेकिन चिंता भी व्यक्त की है कि वह क्षण भर में राष्ट्र, समाज, परिवार को अंधकार में भी झोंक सकता है।

युवाओं को पत्र लिखने का मेरा यही उद्देश्य है कि आप अपनी ताकत को पहचानिये। दुनिया आप से है आप दुनिया से नहीं। आप चिंतन मनन कीजिए कि कहीं कोई आपकी इस शक्ति का दुरुपयोग तो नहीं कर रहा है। कही आप अनजाने में ही स्वार्थी तत्वों के स्लीपर सेल तो नहीं बनते जा रहे हैं?

स्लीपर सेल वो होते हैं जो दूसरों को अपना आदर्श मान शुद्ध भावना के साथ अपनी दृष्टी में तो राष्ट्र, समाज व विश्व हित में काम कर रहे होते हैं लेकिन वास्तविकता के धरातल पर वो अनजाने में ही अहित कर रहे होते हैं।   

आप युवा हैं आपकी भूमिका को यह देश समाज और परिवार एक वाहक के रूप में देखना चाहता है, एक नेतृत्वकर्ता के रूप में देखना चाहता है, ना कि एक कैरियर के रूप में, ना कि एक मालवाहक के रूप में अर्थात स्लीपर सेल के रुप में।

आज मैं देख रहा हूं एक बहुत बड़ा युवा वर्ग जिसमें अपार संभावनाएं हैं देश को आगे ले जाने की, घर परिवार को ताकत देने की वह अपने विचारों को खोता जा रहा है। स्वयं के फायदे के लिए दौड़ने वाले अवसरवादी तत्वों के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए कैरियर के रूप में इस्तेमाल हो रहा है।

आप सोच रहे होंगे कि आखिर हम कैसे एक कैरियर के रूप में इस्तेमाल हो रहे हैं तो उस पर चिंतन मनन कीजिएगा आपको स्वयं लगने लगेगा कि आप स्वार्थी व अवसरवादी लोगों के चक्रव्यूह में बुरी तरीके से जकड़े हुए हैं। उन्होने आपके मन को सम्मोहित कर लिया है और आप उनके एजेंडे को तीव्र गति से बढ़ाने के लिए एक माध्यम अर्थात कैरियर (स्लीपर सेल)  बने हुए हैं।

आप कुछ बातों पर गौर करेंगे तो स्वयं ही समझ जायेंगे की आप स्लीपर सेल बन चुके है। बस आपको यह विचार करना है कि -

पहला अगर सोशल मिडिया की पोस्ट कि विश्वसनीयता जांचें बिना उस पोस्ट को  फैलाने के अभियान में लग गए गए हैं तो समझ जाइए कि आप व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी बन चुके हैं अर्थात आप स्वार्थी लोगों के चंगुल में फंसकर एक आदर्श कैरियर (स्लीपर सेल) बन चुके हैं।

दूसरा सोशल मिडिया की पोस्ट अगर दूसरे के प्रति नफरत का भाव पैदा कर रही है और हम उस पोस्ट को आगे बढ़ा रहे हैं तो समझ जाइए आप सम्मोहित हो चुके हैं तथा ड्राइवर की जगह कैरियर (स्लीपर सेल) की भूमिका में आ चुके हैं।

तीसरा अगर कोई पोस्ट अपने से छोटे के साथ तुलनात्मक अध्ययन कर रही हो और आप आत्ममुग्ध होकर उसे फॉरवर्ड पर फॉरवर्ड किए पड़े हैं तो समझ जाएं आप अवसरवादी लोगों के गिरोह के  मालवाहक अर्थात स्लीपर सेल बन चुके हैं।

चौथा कोई पोस्ट जाति धर्म क्षेत्र के संदर्भ में नकारात्मकता का भाव या विशिष्टता का भाव पैदा कर रही है और उसे आप आगे बढ़ाने के अभियान में लगे हुए हैं तो समझ जाइए कि आप छद्म राष्ट्रवादियों के गिरोह के आदर्श कैरियर बन चुके हैं।

पांचवा ऐसी प्रशंसा वाली पोस्ट जिसकी सत्यता के बारे में आप अनिभिज्ञ हैं लेकिन आपको आत्म गौरव का एहसास करा रही है और उस गौरव गान को हम अपने लोगों के बीच में बांटने के लिए निकल पड़े हैं तो समझ जाइए आप स्वार्थ परक लोगों के चंगुल में फंस चुके हैं उनका कैरियर बन चुके हैं।

इतिहास गवाह है कि जब जब जब युवाओं का सौर्य जागृत हुआ है युवाओं की विचार शक्ति दृढ़ रही है तब तब क्रांति आई है, खुशहाली आई है, तरक्की आई है। और दूसरी ओर इतिहास इस बात का भी गवाह है जब जब युवा दूसरों के हाथों की कठपुतली बना है छद्म लोगों के विचारों का वाहक बना है तब तब उस राष्ट्र में अवनति और दुर्गति आई है।

युवा का काम है सत्ता के गलियारों पर बैठे लोगों से प्रश्न करना। उनकी नीतियों पर विचार करके सुझाव देना। उनकी गलत नीतियों और गलत कार्य पद्धतियों का पुरजोर विरोध करना।

युवाओं से मेरी यही इल्तजा है कि आप अपनी स्वतंत्र सोच को आगे बढ़ाईये। किसी की मुहिम का हिस्सा मत बन जाइये। नदी की धारा में तो कूड़ा कचरा ही बहा करता है आप चट्टान बनिये जो नदी की धार को अपने हिसाब से मोड़ने की ताकत रखता है।

जय हिंद ...

राजेश बिस्सा
9753743000

Thursday, September 14, 2017

Rajesh Bissa Poem Hind Ki Pahchan

                    हिंद की पहचान

ऐ हिंद के युवा तू आगे बढ़ लगाम थाम ले
तू हिंद कि पहचान है तू हिंद को पहचान दे

आयें लाखों दिक्कते पर तेरा कदम ना डिगे
शोषण किसीका होता देख तेरा खूं खौल उठे

आयेंगी मुश्किलें जरुर तूझे आगे बढ़ना ही है
मन मे हो उमंग जिसकी जीतना उसे ही है

ऐ हिंद के युवा तू आगे बढ़ लगाम थाम ले
तू हिंद कि पहचान है तू हिंद को पहचान दे
                                      
                                         राजेश बिस्सा

rajesh bissa
Rajesh Bissa

rajesh Bissa, Spokesperson, CG Pradesh Congress
RAJESH BISSA, SPOKESPERSON, CHHATTISGARH PRADESH CONGRESS

rajesh Bissa, Spokesperson, CG Pradesh Congress
RAJESH BISSA, SPOKESPERSON, CHHATTISGARH PRADESH CONGRESS
rajesh Bissa, Spokesperson, CG Pradesh Congress
RAJESH BISSA AT JAISALMER

rajesh Bissa, Spokesperson, CG Pradesh Congress
rajesh Bissa, Spokesperson, CG Pradesh Congress
राजेश बिस्सा जैसलमेर राजस्थान के सेना के म्यूजियम में, गौरव का अहसास होता है यहां

rajesh Bissa, Spokesperson, CG Pradesh Congress
राजेश बिस्सा अपनों के बीच
rajesh Bissa, Spokesperson, CG Pradesh Congress
rajesh Bissa, Spokesperson, CG Pradesh Congress
RAJESH BISSA
फुर्सत के क्षण जो बड़ी मुश्किल से मिलते हैं

rajesh Bissa, Spokesperson, CG Pradesh Congress
RAJESH BISSA, SPOKESPERSON, CHHATTISGARH PRADESH CONGRESS

rajesh Bissa, Spokesperson, CG Pradesh Congress
RAJESH BISSA, SPOKESPERSON, CHHATTISGARH PRADESH CONGRESS

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RAJESH BISSA AT HOME CHOUBEY COLONY RAIPUR (CG)

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