उन्मुक्त गगन में जो डोले
निडरता से जो बोले
करताल सुन शत्रु भागे
स्वतंत्र सोच की नदिया तुम
वो भारत नंदन.. युवा
हो तुम
खड़ा हुआ तो पर्वत सा
नाराज हुआ लावा फूटा
पवन वेग के हे गामी
विचार प्रवाह की नदियां तुम
वो भारत नंदन.. युवा
हो तुम
मुश्किलों में जो खड़ा रहा
अपनी बातों पर अड़ा रहा
कर्तव्य बोध के हे सूचक
दिशा बोध की नदियां तुम
वो भारत नंदन.. युवा
हो तुम
दया के उन्मुक्त सागर
करुणा से भरी
हुई गागर
सेवा धर्म के हे
सेतु
परोपकार की नदिया तुम
वो भारत नंदन.. युवा
हो तुम
राजेश
बिस्सा
9753743000
लेखक
राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहे
हैं।
14 अप्रैल 2020
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