// स्व-रचित भजन //
मेरा जीवन तार दे प्रभु
मेरा जीवन तार दे प्रभु, अब चाहूं मैं विश्राम
बहुत जी लिया खुद के लिये, कुछ तेरे आऊं काम
माया देख ना मन डोले
ना प्रतिषोध के शोले भड़के
इर्ष्या की भट्टी से निकलकर
पंच विकारों को दूं मात
देख जमाने की सूरत
सदा उठे ये भाव ॰॰॰॰॰॰
कैसे करुं मैं भला सबका, कैसे आऊं जगत के काम
मेरा जीवन तार दे प्रभु, अब चाहूं मैं विश्राम
बहुत जी लिया खुद के लिये कुछ तेरे आऊं काम
दूसरों को सुख देकर
मन का सुख मैं पाऊं
सच की राह चल रहे को
और आगे तक ले जाऊं
देख जमाने की हालत
सदा उठे ये भाव ॰॰॰॰॰॰
कैसे करुं मैं भला सबका, कैसे आऊं जगत के काम
मेरा जीवन तार दे प्रभु, अब चाहूं मैं विश्राम
बहुत जी लिया खुद के लिये कुछ तेरे आऊं काम
पर पीड़ा हरकर
लोगों को सुख पहुंचाउं
दीन दुःखी ना रहे जग में
सब को तुझमें समाऊं
देख जगत का चित्र
सदा उठे ये भाव ॰॰॰॰॰
कैसे करुं मैं भला सबका, कैसे आऊं जगत के काम
मेरा जीवन तार दे प्रभु, अब चाहूं मैं विश्राम
बहुत जी लिया खुद के लिये कुछ तेरे आऊं काम
भजन रचना
राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहते हैं।
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