Monday, April 27, 2020

ये कैसी जिंदगी...

ये कैसी जिंदगी...

ये कैसी जिंदगी...

रहने को छत नहीं
तन को वस्त्र नहीं
सूख चुकी आंतों से
मृदंग ध्वनी निकले
भूख को सहलाती



ये कैसी जिंदगी...


वज्राघाती कठिनाईयां
दम घोंटती हर पल
जीजीविशा ऐसी की
नहीं थमने दे जीवन
घिसट घिसट कटती

 ये कैसी जिंदगी...


                                      बार बार भरता
दर्द भरी लंबी सांसे
फिर भी इन आहों पर
कोई पसीजता नहीं
मतलबों से भरी

ये कैसी जिंदगी ...



गुलामी पसंद नहीं
शोषण से लड़ता नहीं
बोलता तू क्यों नहीं
निरउद्देश्य यह जीवन
मौन धरे काट रहा

ये कैसी जिंदगी... 
                                                                               राजेश बिस्सा

9753743000

लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं।

 युवाओं के बारे लगातार लिखते रहते हैं।

रायपुर दिनांक –  28 अप्रैल 2020

Saturday, April 25, 2020

"युवा भावना नहीं संभावनाओं का द्वार"

"युवा भावना नहीं संभावनाओं का द्वार"

प्रिय युवाओं 
सादर वंदे,

ऐ युवा वेगवान, भावनाओं में मत बहना
संभावनाओं की राह तू, काम तेरा सृजन करना

युवाओं को कोई लाचार कहे यह मुझे बर्दाश्त नहीं है। युवाओं को कोई बेकाम कहे यह मुझे स्वीकार नहीं है। इस बात का मुझे अफसोस है कि युवाओं को स्वयं की शक्ति का एहसास नहीं है।

युवाऔर लाचार यह दो ऐसे शब्द है जो कभी आपस में कभी मिल ही नहीं सकते। युवाओं को जो कमजोर मानते हैं वे एक षड्यंत्र के तहत ऐसा करते हैं। जिससे कि युवा का मनोबल टूट जाए और उन्हें अपने षड़यंत्र का मोहरा बनाने की मनमाना छूट मिल जाए। ऐसे लोग स्पष्ट रूप से समाज विरोधी और राष्ट्र विरोधी हैं। जिसे समझना होगा।

देखता हूं जब युवाओं को करीब से तो पाता हूं एक बंद पड़ी गठरी जो अपार संभावनाओं से भरी हुई है। लेकिन उस पर फिलहाल धूल पड़ी हुई है। दुःख का विषय यह है कि यह धूल स्वयं उसके द्वारा समेटी हुई है।  जिस दिन वह इसे झाड़ लेगा उस दिन अपने में बसी अपार संभावनाओं को तराश लेगा। अपने को आत्मविश्वास से परिपूर्ण सकारात्मकता से भर सकेगा।

वैचारिक रूप से समाज को विशेषकर युवाओं को कमजोर बनाने का एक षड़यंत्र निरंतर चल रहा है। षड़यंत्रकारियों के द्वारा स्वतंत्र सोच खत्म करने के लिये एक के बाद एक भावनाओं के रैपर में पैक कर झूठ व नफरत से भरी बातें लगातार परोसी जा रही है।

आपको आत्म-अवलोकन करने की जरुरत है कि कहीं आप तो इस षड़यंत्र में नहीं फंस चुके हैं। यह पता करने के लिये आप को निम्न बिंदुओं पर गौर करने की जरुरत है 

1 आपकी धार्मिकता कहीं सांप्रदायिकता या धर्मांधता की ओर प्रवृत्त तो नहीं होती जा रही है ? 

2 आपकी मनन की दिशा कहीं नफरत की दिशा तो नहीं लेती जा रही है ?

3 आपकी सोच का दायरा कहीं एक के प्रति प्रेम व दूसरे के प्रति नफरत का तो नहीं होता जा रहा है  ?

4 महापुरुषों के आदर्श सदा प्रेरणादायी रहे हैं। आप उनके पथ पर ना चल पड़ें इसलिये स्वार्थी तत्वों द्वारा महापुरुषों की नीयत पर प्रश्न उठाए जाने लगे हैं। कहीं आप उसके प्रभाव में तो नहीं आ गये हैं ?

5 सोशल मीडिया में स्वयं के हितों की बातों से ज्यादा दूसरे की निंदा से संबंधित बातों को फैलाने की ओर आपका ध्यान तो नहीं है ?

अगर यह लक्षण आप अपने में पाते हैं। तो उसे दूर कर लीजिए क्योंकि इसका मतलब है आपका मन किसी दूसरे का गुलाम हो चुका है। वह जैसा चाह रहा है, आपको नचा रहा है। यह स्थिति इसलिये निर्मित हो रही है क्योंकि हम यथार्थ से ज्यादा भावनाओं में खोते जा रहे हैं। एक बात अच्छे से समझ लीजिए की "युवा भावना नहीं - संभावनाओं का द्वार" है। 

युवाओं को नकारात्मकता छोड़ सकारात्मकता की ओर बढ़ने का समय आ गया है। तो आज से आप सतर्क हो जाइए और यह संकल्प लीजिए कि हमें “भावनाओं” में नहीं आना है। जीवन का लक्ष्य अपने में बसी हुई “संभावनाओं” को बनाना है।

राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहते हैं।
रायपुर दिनांक –  26 अप्रैल 2020
समाचार पत्र,वेब पोर्टल, मैग्जीन, इलेक्ट्रानिक मीडिया, सोशल मीडिया सहित अन्य सभी पक्षों को इसे प्रकाशित व उपयोग करने की पूरी छूट है – राजेश बिस्सा।

Thursday, April 23, 2020

हिंदुस्तान आपको डरने की जरुरत है - राजेश बिस्सा


आपको डरने की जरुरत है

अब आप को डरने की जरूरत है क्योंकि यह डर ही आप को मजबूत बनाएगा। यही डर आपको एकजुट करेगा। यह डर ही भारत को जागृत और मजबूत बनायेगा। जिस दिन आप एकजुट हो गए। अपनी राय खुलकर रखने लग गये। उस दिन आप लोकतंत्र के चारों स्तंभ जो मृत्यू शैय्या की ओर जा रहे हैं उन्हे प्राण वायु देने में सफल हो सकेंगे।

हम रोज सुनते हैं कि लोकतंत्र के चार स्तंभ हमारे जीवन के आधार स्तंभ है। मैं आपको बता दूं, इस धोखे में मत रहियेगा क्योंकि यह चारों स्तंभ अपनी कसौटी पर प्रश्नचिन्ह लिए खड़े हैं।

चार स्तंभों के बारे में आप सोचेंगे तो आपको एक डरावनी छवि नजर आएगी –

पहला स्तंभ -  “विधायिका” - यह वह स्तंभ है जो झूठ फरेब नफरत पैसा और अनैतिकता के मिश्रण से तैयार होने लगा है। जिन्हें हम चुनकर मजबूत स्तंभ के रूप में भेज रहे हैं वही अपनी मंडी लगाए बैठे हैं। उन पर क्या विश्वास कीजियेगा।

दूसरा स्तंभ – “कार्यपालिका” – सरल भाषा में कहें तो शासन – प्रशासन।  जिसका बड़ा हिस्सा आकंठ तक भ्रष्टाचार में डूब चुका है। उसे अब सुरा सुंदरी और पैसा नियंत्रित करने लगा है।

तीसरा स्तंभ – न्यायपालिका समय के साथ राजनीतिक हस्तक्षेप का शिकार होती जा रही है।

चौथा स्तंभ“मीडिया” - कुछ अपवाद छोड़ दे तो  एक बहुत बड़ा मीडिया का तबका उस नर्तकी के रूप में खड़ा है, जिसके ऊपर जितना पैसा फेकों उतने ठुमके लगा देती है।

आज मैं यह लिखने को इस लिये मजबूर हुआ हूं की देख रहा हूं एक न्यूज चैनल गली के किसी आवारा सा व्यबहार कर रहा है और सत्तारूढ़ भाजपा उसके बचाव का कवच और उसके द्वारा फैलायी जा रही आग को हवा देने पर तुली हुई है।

इसका शर्मसार करने वाला ताजातरीन उदाहरण आज देखने को मिला जब अर्नब  गोस्वामी पर हमले की खबर उसके चैनल के ट्यूटर हैंडल पर बाद में आयी पहले हमले की निंदा भाजपा ने की। यह षड़यंत्र नहीं तो क्या माना जाये।

अर्नब गोस्वामी और उनके चैनल आर भारत ने जिस तरह सारी मर्यादाऐं तोड़ कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी व कांग्रेस के खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ है उसकी निंदा करना भी स्वयं अपने ऊपर स्याही फंकने के समान है।

आर भारत न्यूज़ चैनल के अर्नब गोस्वामी ने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के संरक्षण में अपनी सारी नैतिकता व मीडिया धर्म को बला ऐ ताक पर रख दिया है। पालघर में दो साधु व उनके ड्राइवर की हत्या पर चर्चा करते हुए जिस तरह उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी के चरित्र पर प्रहार किए वह संपूर्ण मीडिया जगत को शर्मसार करने वाला था।

यह बात अलग है कि बहुत से मीडिया ग्रुपों ने सिर्फ मुस्कुरा कर काम चला लिया। जबकि यह अक्षम्य अपराध था। विरोध होना था। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की मर्यादा कायम रखना था।

अर्नब गोस्वामी जिस तरह अपने चैनल पर हिंदू मुस्लिम नफरत फैलाने का प्रयास करते हैं। गैर भाजपाई दलों के लोगों को शर्मसार करने का प्रयास करते हैं। मीडिया तंत्र का अंग होने का फायदा उठा अमर्यादित बातें और टिप्पणी करते हैं। वह देश के लिए घातक है। अर्नब गोस्वामी के ऊपर भारतीय प्रेस परिसद  को तत्काल कड़ी कार्रवाई करना चाहिए। जिससे गोदी मीडिया को भी सबक मिल सके।

आज सत्ता के साथ उसकी ताल पर नाचने वालों के खिलाफ एक भी शब्द बोलना या लिखना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना होता है। मैं मीडिया के उन साथियों को सलाम करना चाहता हूं, जिनने इस घटना की खुलकर कड़ी निंदा अपने संस्थानों के साथ ही व्यक्तिगत रुप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी की। इस घटना की मीडिया हाउस या उन में कार्यरत  पत्रकार साथियों के द्वारा व्यक्तिगत रुप से करना बहुत दुष्कर कार्य था।

 अर्नब गोस्वामी की बातों को सही ठहराने के लिए प्रसार-प्रचार करने मैदान में कूद चुकी भाजपा को  अब ना तो नैतिकता दिख रही है,  ना ही नारी का अपमान,  ना ही देश का अभिमान। 

आम जनमानस से मेरी विनती है कि जाग जाईये। ऐसे लोगों का बहिष्कार कीजिए जो नैतिकता के मापदंडों पर सड़क छाप साबित हुए हैं। अगर आपने आज अपनी जागरूकता नहीं दिखाई तो अन्याय के बारूद पर बैठे आप कब जल जायेंगे पता नहीं चलेगा।
राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहते हैं।
रायपुर दिनांक –  23 अप्रैल 2020

Monday, April 20, 2020

युवा बेमान सोच का वाहक नहीं - राजेश बिस्सा


युवा बेमान सोच का वाहक नहीं

प्रिय युवाओं
       सादर वंदे

वो उन्माद जो इंसानियतों पर भारी है
युवा बैठे रहा मौन तो अंत प्रलयंकारी है

पालघर, महाराष्ट्र में हिंसक भीड़ ने तीन लोगों की हत्या कर दी। जब से यह समाचार देखा है मन बहुत उदास है। वेदना के कांटे सपष्टतः चुभता महसूस कर रहा हूं। मुझे इससे ज्यादा पीड़ा इस बात की हो रही है कि कुछ राजनेताओं एवं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के मुट्ठीभर प्रहरियों को इसमें भी चाशनी नजर आ रही। मानों वो इसमें डूब कर मनपसंद रसगुल्ला बन जायेंगे। जिसे लोग चाव से खायेंगे।  

राजनेताओं के जनमत बनाने के इस तरीके का और उनके इस अभियान को रंग देने में लगे लोकतंत्र के प्रहरियों का बहिष्कार और प्रतिकार होना चाहिये। वर्ना इसकी आग कब हमें, हमारे परिवार को, हमारे चहेतों को लील लेगी पता ही नहीं चलेगा। काल बोलकर नहीं आता।

आज इस विषाक्त वातावरण को खत्म करने की सबसे बड़ी जवाबदारी युवाओं के उपर है। जो नफरती बातें कर रहा है उससे सीधा सवाल करना होगा कि आपने हमारे जीवन को खुशियों के रंग देने वाले विषय शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के बारे में कब बोला। उसे कब अपने आक्रमक अभियान का हिस्सा बनाया। क्या कारण है कि राग-द्वेश और नफरत ही आपकी चर्चा और अभियान का मुख्य हिस्सा है।

यकीन मानिये उनका मौन आपको इस बात का अहसास करा देगा की ये सफेद पोश लोग एक बेमान सोच के वाहक बने हुए हैं। जिसका हमें खुलकर प्रतिकार करना है।

प्रिय साथियों एक बात गांठ बांध लीजिए भावनात्मक विषयों के प्रति जब हम खिंचे चले जाते हैं। तब हम दबे पांव शोषण को अपनी ओर बुला रहे होते हैं। हम न्योता दे रहे होते हैं उन धूर्त लोगों को कि "आओ हमारी ऊर्जा का दुरुपयोग कर लो"। अपनी राजसत्ता हासिल कर लो। अपने उद्देश्यों को सार्थक कर लो। 

आप से निवेदन है कि आज इसी समय से प्रण कर लीजिए  कि - 
सांप्रदायिक विषयों से दूर रहेंगे।
सामाजिक कटुता नहीं बढ़ने देंगे।
क्षेत्रवाद का संघर्ष नहीं उभरने देंगे।
धार्मिक उन्माद पर लगाम लगाऐंगे।
वर्ग संघर्ष के विरुद्ध खड़े रहेंगे।

यह ऐसे विषय हैं जिनके बारे में अवसरवादी लोगों को समझ में आ गया है कि उन्माद फैलाकर स्वार्थ साधने की राह आसानी से बनाई जा सकती है।

आपको इस बात को लेकर भी संकल्पित होना है कि अब राजसत्ता की राह के उन्ही राहगीरों को मार्ग दिखाया जाएगा जिनके पास रोड मैप होगा युवाओं को रोजगार देने का अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं देने का सबको शिक्षा देने का गांव को उन्नत करने का किसानों को सामर्थ्यवान बनाने का।

इतिहास गवाह है। जब-जब युवा दूसरों की बातों में आया है। उसने अपनी सांस्कृतिक विरासत व सामर्थ्य को खोया है। संपूर्ण समाज को खतरे में डाला है। सामाजिक व धार्मिक, प्रेम व स्नेह के वातावरण को छिन्न भिन्न किया है।

प्रिय साथियों एक बार आप लक्ष्य बना लीजिए कि मन में नफरत के भाव पैदा नहीं होने देंगे। समग्र विकास की जो बात करेगा उसको हृदय से लगाऐंगे देखिए कैसे परिवर्तन आता है।

राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहे हैं।
20 अप्रैल 2020

Sunday, April 19, 2020

तरुणाई


तरुणाई

संभावनाओं के पर लगा, जब तरुणाई चलती है।
विश्व नंदनी भारत माता, मस्तक ऊंचा करती है।।

तरणाई जब चलती है...

पर्वत चीर राह बना, निर्वाण द्वार पहुंचती है
गगन प्रगट करता विश्वास, प्रकृति छाया देती है

पत्ते भी सर हिलाते हैं, वृक्ष डाल झुकाते हैं
नदी नाले उफन उफन, वृंद गीत गाते है

ऐसी होती है तरुणाई, दुनिया गर्व करती हैं

संभावनाओं के पर लगा, जब तरुणाई चलती है।
विश्व नंदनी भारत माता, मस्तक ऊंचा करती है।।

तरणाई जब चलती है...

बादल करते परिक्रमा, सूर्य प्रकाश भरता है
बिजली करती गर्जना, तारों से रथ सजता है

देव करते पुष्प वर्षा, मेघ अमृत बरसाते हैं
साक्षात स्वयं ईश्वर, साथ खड़े हो जाते हैं

ऐसी होती है तरुणाईदुनिया गर्व करती हैं

संभावनाओं के पर लगा, जब तरुणाई चलती है।
विश्व नंदनी भारत माता, मस्तक ऊंचा करती है।।

तरणाई जब चलती है...

हवाएं लिए पैगाम रथचारों ओर पहुंचती है
फिजाऐं अपने में समेटे, खुशबू बिखेर फिरती हैं

पुष्प करते अभिनंदन, भंवरे गीत गाते हैं
तितलियां रंग भरती, पंछी झूमे जाते हैं

ऐसी होती है तरुणाई, दुनिया गर्व करती हैं

संभावनाओं के पर लगा, जब तरुणाई चलती है।
विश्व नंदनी भारत माता, मस्तक ऊंचा करती है

राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहते हैं।
रायपुर दिनांक –  20 अप्रैल 2020

Friday, April 17, 2020

देश का दिल मत टूटने देना - युवाओं को खुला खत

देश का दिल मत टूटने देना

प्रिय युवाओं 
      सादर वंदे,
वक्त बहुत कम है देख, यूं ही न निकल जाए
बन जा तू पूरब दिशा, सूरज तो निकल पाए

सोशल मीडिया को ज्ञान का श्रोत बनाकर शिक्षक की भांती समाज जागृत करने निकल पड़े साथियों से मेरी यही विनती है कि अपनी जवाबदारियों को समझिये देश आपकी ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है।

युवा पानी की वह धार है जो सही दिशा में चली गई तो क्रांति लाती है। गलत दिशा चली गयी तो बर्बादी लाती है। और अगर धारा के साथ बहकर रह गई तो सागर में मिलकर स्वयं को नष्ट कर लेती है। 

नदिया की धारा से जो पानी अलग होकर सही दिशा में बहता है वही सृष्टि का रक्षक, विकास का पोषक और सुख-समृद्धि का वाहक होता है। खेती, किसानी, कल-कारखाने, विकास के हर पहलू इसका जीवंत उदाहरण हैं। नदी की धारा के साथ जो बहता चला जाता है वह अंततः  सागर में गिर कर अपने अस्तित्व को खत्म कर लेता है। युवाओं को अपनी दिशा बहुत सोच समझकर तय करनी है।

युवाओं के एक बहुत बड़े हिस्से को मैं देख रहा हूं कि वह समर्थक के रूप में अपनी भूमिका निर्वहन कर रहा है। आने वाले विचारों का ताली पीटकर से ऐसा स्वागत कर रहा है मानों उसे दिशा मिल गयी हो। यह जाने सोचे बिना कि वह जिस धारा में बह रहा है उससे भारत माता को फायदा पहुंचेगा या नुकसान। युवाओं को अब संभल जाना चाहिये।

युवा जब भावनाओं में बहकर भीड़ तंत्र का हिस्सा बनता है, तब वह अपना व्यक्तित्व समूल नष्ट कर लेता है। भीड़ तंत्र का हिस्सा मत बनिए क्योंकि यह आपको कहीं का नहीं छोड़ेगी। भीड़ तंत्र का मुखिया ही सदैव सुख में रहा है, उसका हिस्सा रहे लोग नहीं।

यह चिंतन जरुर कीजिये की भीड़ तंत्र के मुखिया की जयकारा लगाकर आप कहीं समाज को क्षति तो नहीं पहुंचा रहे हैं। । इसके लिये आपको ध्यान देना है कि कहीं आप उसके साथ तो नहीं खड़े हैं

जो नफरत फैला रहा है
जो झूठ फैला रहा है
जो प्रश्नों से भाग रहा है
जो दूसरे को नीचा दिखाकर खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित कर रहा है
जो दूसरे को चोर बताकर खुद को साहूकार बता रहा है

अगर ऐसा है तो समझ जाइये उसका उद्देश्य आपकी आंखों में धूल झोंकना है। आपको धोखा देकर राज करना है। आप समझिये बांटो और राज करो की नीति के तहत ही नफरत फैलाई जाती है। झूठ आदमी तभी बोलता है जब वह सच को छुपाकर गलत मार्ग से कुछ हासिल करना चाहता है। उत्तर देने की स्थिती में ना हो तब नेतृत्वकर्ता प्रश्नों से भागता है। किसी को दूसरे की नजरों में गिराकर स्वयं को उच्च वही बताता है, जो स्वयं कमजोर होता है। साधारण सी बात है कि स्वयं को साहूकार साबित करने के लिए किसी को चोर बतलाने की आवश्यकता ही क्या है।

प्रिय युवाओं देश समाज परिवार सब आपकी ओर देख रहे हैं। आप पर भारत को महान बनाने की महत्वपूर्ण जवाबदारी है। विश्व नेतृत्व के लिये भारत को तैयार करने की जबवाबदारी है। प्रेम भाईचारे की मिसाल कायम करने की जवाबदारी है। शिक्षा की ज्योत जलाने की जवाबदारी है। संपूर्ण जवाबदारियों का केंद्र बिंदु आप हैं। देश का, देश वासियों का दिल मत टूटने दीजियेगा।

आशा है आप समर्थक बनकर छद्म लोगों के विचारों का वाहक बनना बंद करेंगे। राष्ट्र निर्माण के वाहक बनेंगे।
      जय हिंद ...
राजेश बिस्सा
9753743000
लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते रहे हैं।

18 अप्रैल 2020