तरुणाई
संभावनाओं के पर लगा, जब तरुणाई चलती है।
विश्व नंदनी भारत माता, मस्तक ऊंचा करती है।।
तरणाई जब चलती है...
पर्वत चीर राह बना, निर्वाण द्वार पहुंचती है
गगन प्रगट करता विश्वास, प्रकृति छाया देती है
पत्ते भी सर हिलाते हैं, वृक्ष डाल झुकाते हैं
नदी नाले उफन उफन, वृंद गीत गाते है
ऐसी होती है तरुणाई, दुनिया गर्व करती हैं
संभावनाओं के पर लगा, जब तरुणाई चलती है।
विश्व नंदनी भारत माता, मस्तक ऊंचा करती है।।
तरणाई जब चलती है...
बादल करते परिक्रमा, सूर्य प्रकाश भरता है
बिजली करती गर्जना, तारों से रथ सजता है
देव करते पुष्प वर्षा, मेघ अमृत बरसाते हैं
साक्षात स्वयं ईश्वर, साथ खड़े हो
जाते हैं
ऐसी होती है तरुणाई, दुनिया गर्व करती हैं
संभावनाओं के पर लगा, जब तरुणाई चलती है।
विश्व नंदनी भारत माता, मस्तक ऊंचा करती है।।
तरणाई जब चलती है...
हवाएं लिए पैगाम रथ, चारों ओर पहुंचती है
फिजाऐं अपने में समेटे, खुशबू बिखेर फिरती हैं
पुष्प करते अभिनंदन, भंवरे गीत गाते हैं
तितलियां रंग भरती, पंछी झूमे जाते हैं
ऐसी होती है तरुणाई, दुनिया गर्व करती हैं
संभावनाओं के पर लगा, जब तरुणाई चलती है।
विश्व नंदनी भारत माता, मस्तक ऊंचा करती है
राजेश
बिस्सा
9753743000
लेखक
राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक हैं। युवाओं के बारे लगातार लिखते
रहते हैं।
रायपुर दिनांक – 20 अप्रैल 2020
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